Priyanka06

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -21-Jul-2023 दहेज के शिकारी

शीर्षक-दहेज के शिकारी
दहेज के थे शिकारी,
नजरें थी कजरारी,
तुझ पर चलाई आरी।

छिपाए बैठे हैं कितने राज,
नहीं आती उनको बिल्कुल लाज,
जिंदा जलाते बेटी आज।

जब लेकर चला डोली कहार,
चली करके सोलह सिंगार,
सजे पिया का अब प्यार।

सपने बिछाए उसने लाख,
तन जलकर हुआ उसका राख,
सुनकर बहाए नीर ऑंख।

डोली बनी अर्थी सुन बहना,
पहनी थी दुल्हन का गहना,
किसी से आज क्या कहना।

दहेज के हत्थे चढ़ी बली,
मुरझा गई मासूम कली,
प्यारी बहना शमशान चली।

बड़ी नाजो से पली,
वो बाबुल की गली,
आज उसकी अर्थी चली।

फूट-फूटकर रोए बाबुल,
कहा से लाऊॅं मेरी बुलबुल,
शरीर हो गया अब है गुल।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा प्रिया✍️

   9
4 Comments

Abhinav ji

22-Jul-2023 09:18 AM

Very nice 👍

Reply

खूबसूरत भाव

Reply

Varsha_Upadhyay

21-Jul-2023 11:43 PM

बहुत खूब

Reply